Banking, one of the fastest growing segments of the economy, too faces challenges of scarcity of resources and skilled manpower. Such skilled manpower is not easily available in adequate numbers to meet the growing requirements of the Banking Industry due to normal attrition, competition and faster growth in business. The position is going to exacerbate further for the banking system as a whole, due to retirement of many experienced bankers in the Public Sector during the current decade.
According to a recent report published by the National Skill Development Corporation (NSDC), about 14 lakh people are likely to be employed in the banking industry by 2022. With a renewed focus on 'financial inclusion' and new banks on the anvil, the talent need for the sector will be higher than ever.
The NSDC report further suggests that banks typically have 50-60% of their workforce in operations. With the banks' increased focus on sales & marketing and given their expansion plans, they will need to lure new customers and tap new markets and will need 'local workforce' to cater to this need.
With the rising use of technology in banking services, recruiters are looking at different set of skills that would help them scale their business keeping the cost low. Banking professionals are expected to possess these skills apart from the specific functional competencies. Given this, we are bound to witness huge re-skilling efforts amongst banks, especially in the public sector. Banks today need a 'digital workforce' to converge diverse platforms like mobile solutions, social media, biometrics, etc, to render seamless and highly customised banking services.
बैंकिंग, अर्थव्यवस्था का सबसे तेज़ी से बढ़ता हुआ क्षेत्र, को भी संसाधनों और कुशल कर्मचारियों की कमी की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इस तरह की मैनपॉवर पर्याप्त मात्रा में आसानी से उपलब्ध नहीं होती है जो कि बैंकिंग इण्डस्ट्री की बढ़ती हुई माँगों को पूरा कर सके । जिसके कारण हैं प्रतिस्पर्धा एवं बिज़नस में तेज़ बढ़त। वर्तमान दशक के दौरान सार्वजनिक बैंकों में कई अनुभवी बैंकर्स के सेवा-निवृत (Retire) होने के कारण आने वाले समय में व्यापक रूप से बैंकिंग सिस्टम में बैंकर्स की भारी कमी पड़ने वाली है।
नेशनल स्किल डेवलपमेन्ट कॉर्पोरेशन (एन.एस.डी.सी.) के द्वारा प्रकाशित एक ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार 2022 तक बैंकिंग इन्डस्ट्री में लगभग 14 लाख लोग भर्ती किये जाने सम्भावित हैं। वित्तीय समावेशन पर नये सिरे से ध्यान केन्द्रित होने एवं नये बैंकों के आने से इस क्षेत्र के लिए कौशल (Talent) की आवश्यकता हमेशा से ज्यादा रहेगी।
एन.एस.डी.सी. की रिपोर्ट आगे यह बताती है कि आमतौर पर बैंक की 50-60% कर्मचारी संचालन (Operations) के कार्य में हैं। बैंकों द्वारा सेल्स एवं मार्केटिंगके क्षेत्र में ध्यान केंद्रित होने एवं उनके विस्तार की योजना को देखते हुए, उनको नए ग्राहक आकर्षित करने होंगे और नये बाजार खोजने होंगे जिसके लिये उन्हें लोकल कर्मचारियों की आवश्यकता पड़ेगी ।
बैंकिंग सेवा में टैक्नोलॉजी के बढ़ते प्रयोग के साथ नियोक्ता भिन्न प्रकार के कौशल की तलाश में हैं जो कि बैंकों को उनके बिज़नस के मापन में और मूल्य को कम रखने में मदद करेगा। अतः बैंकिंग पेशेवरों से यह उम्मीद की जाती है उनमें विशिष्ट कार्यात्मक क्षमताओं के अलावा उक्त योग्यता भी होनी चाहिए। इस प्रकार से मुख्य रूप से सार्वजनिक बैंकों में बड़ी मात्रा में कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कौशल प्रदान करने के प्रयास की आवश्यकता है। .
Source-Indian Banking 2020: Making the Decade's Promises Come True - by IBA